हर निवेशक का सपना होता है की जिस दिन वह स्टॉक में निवेश कर उसी दिन वह स्टॉक 50% से 100% तक बढ़ जाए|
परंतु स्टॉक मार्केट के कुछ नियमो के कारण यह होना नामुमकिन है, और वह नियम है, Stock market में सर्किट जिस कारण स्टॉक की कीमत आगे नहीं बढ़ सकती है|
इंडियन स्टॉक मार्केट में यह SEBI (Security and exchange board of india) द्वारा निर्धारित किया गया है| इसीलिए यहाँ SEBI द्वारा Upper सर्किट और Lower सर्किट निर्धारित किये गए है|
तो आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे की Stock market में सर्किट क्या है? और यह Upper और Lower सर्किट किसे कहते है, और जब यह इंडेक्स और स्टॉक में लगता है तो इन पर इनका क्या प्रभाव होता है?
Stock market में सर्किट क्या है?
Stock market में सर्किट एक ऐसी स्थिति है जब कोई स्टॉक तेजी से व्यापक तरीके से ऊपर या निचे की और ट्रेडिंग गतिविधि करता है जहाँ स्टॉक में ट्रेडिंग अस्थायी रूप से रोक दिया जाता है|
यह तब होता है जब किसी स्टॉक की कीमत एक निश्चित अवधि में पूर्व निर्धारित प्रतिशत से ऊपर या निचे जाती है| एक बार जब स्टॉक सर्किट सीमा तक पहुंच जाता है तब उन स्टॉक्स में एक निश्चित अवधि के लिए ट्रेडिंग रूक जाती है|
यह आमतौर पर 15 मिनिट से लेकर पुरे दिन के लिए होती है जिससे ट्रेडर्स को स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने और मार्केट में किसी और अस्थिरता को रोकने में मदत मिलती है|
मार्केट की अस्थिरता को नियंत्रित करने और और मार्केट को स्थिरता का स्तर प्रदान करने के लिए Stock Exchange द्वारा सर्किट सीमाए निर्धारित की जाती है, सर्किट सीमा हर स्टॉक के लिए अलग अलग हो सकती है|
Upper और Lower सर्किट किसे कहते है?
Stock market में Upper सर्किट एक ऐसी स्थिति है जब किसी स्टॉक की कीमत तेजी से ऊपर की और बढ़ती है, और ट्रेडिंग सत्र में स्टॉक एक्सचेंज द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा तक पहुंच जाती है|
जब कोई स्टॉक ऊपर की सर्किट तक पहुंच जाता है, तब मार्केट की सहभागियों को स्थिति का आकलन करने और स्टॉक की कीमत में किसी भी तरह की अस्थिरता को रोकने के लिए एक्सचेंज द्वारा समय की एक विशिष्ट अवधि के लिए ट्रेडिंग बंद कर दी जाती है|
इसी तरह स्टॉक मार्केट में Lower सर्किट तब लगता है जब कोई स्टॉक की कीमत एक्सचेंज द्वारा निर्धारित Lower लिमिट तक गिर जाती है, तब ट्रेडिंग एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए अस्थायी रूप से रुक जाती है|
इस अवधि में, ट्रेडिंग फिर से शुरू होने तक ट्रेडर्स स्टॉक्स खरीद या बेच नहीं सकते है फिर जब ट्रेडिंग शुरू होने के बाद सर्किट सीमा ट्रेड करना जारी रख सकते है|
Volatility को रोखने और मार्केट को स्थिर बनाए रखने के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा सर्किट लागु किये जाते है, ज्यादातर यह उन स्टॉक के लिए उपयोग किये जाते है जो अत्यधिक अस्थिर और जिनमे तरलता ना हो|
Stock market में सर्किट लगने के कुछ महत्वपूर्ण कारण –
हाँ, मार्केट में ऐसे बहुत सारे कारण है जिससे किसी स्टॉक में Upper या Lower सर्किट लग सकते है|
तो चलिए समझते कुछ ऐसी घटनाओं से किसी स्टॉक में Upper सर्किट लग सकता है:
- किसी कंपनी में पॉजिटिव न्यूज़, जैसे एक नया प्रोडक्ट लॉन्च, उम्मीद से ज्यादा कमाई, और किसी दूसरे अच्छी कंपनी से साझेदारी|
- मार्केट में किसी स्टॉक के लिए ज्यादा निवेश भावना या मार्केट में सकारात्मक रुझान के कारण स्टॉक की मांग में वृद्धि|
- किसी बड़ी संस्था या किसी बड़े निवेशक का उच्च मूल्य पर स्टॉक को खरीदना|
- ट्रेडर्स और निवेशकों द्वारा स्टॉक में सट्टा खरीद जो भविष्य में स्टॉक के बढ़ने की उम्मीद करते है|
- ट्रेडर्स द्वारा किया गया शार्ट-कवरिंग जिन्होंने स्टॉक के खिलाफ दांव लगाया था और अब वह अपनी पोजीशन से निकल रहे है|
तो चलिए समझते कुछ ऐसी घटनाओं से किसी स्टॉक में Lower सर्किट लग सकता है:
- किसी कंपनी के बारे में नकारात्मक न्यूज़, जैसे कमाई में भारी गिरावट, कंपनी में कोई घोटाला या धोकाधड़ी, या एक्सचेंज द्वारा कोई नियामक कार्यवाई|
- आर्थिक और राजनीतिक घटनाएँ जो मार्केट में अनिश्चितता पैदा करती है और मार्केट की धारणा को मंदी की और ले जाती है|
- किसी स्टॉक में ज्यादा गिरावट की आशंका से ट्रेडर्स और निवेशकों में घबराहट|
- तकनीकी कारक जैसे ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक वृद्धि और सपोर्ट जोन का उल्लंघन होना|
Stock market में सर्किट लगने से क्या होता है?
जब किसी स्टॉक में Upper सर्किट लगता है तो अचानक खरीदारों की संख्या बेचने वालों की तुलना से ज्यादा हो जाती है|
जिस कारण स्टॉक अपने ऊपरी सर्किट तक जाकर पहुंच जाता है, जिसके बाद उस स्टॉक में नए खरीदी और बिक्री के आर्डर नहीं दे सकते है|
इसका मकसद लोगों को सोचने का समय देना होता है, ताकि अतिरिक्त खरीदारों के दबाव के कारण स्टॉक की कीमत बहुत तेजी से बढ़ने से बचा जा सके|
वैसे ही जब स्टॉक में खरीदी की तुलना में बेचने वालों की संख्या बढ़ जाती है और स्टॉक अपनी सर्किट सीमा तक गिर जाता है,तब स्टॉक में Lower सर्किट लग जाता है|
अब पुरे दिन के लिए नए खरीदी और बिक्री स्टॉक में बंद हो जाती है|
Trigger Limit | Trigger Time | Market Halt Duration | Pre-open call action session Post market Halt |
10% | Before 1:00 PM | 45 Minuts | 15 Minuts |
10% | After 1:00 PM Upto 2:30 PM | 15 Minuts | 15 Minuts |
10% | After 2:30 PM | No Halt | Not applicable |
15% | Before 1:00 PM | 1 Hour 45 Minuts | 15 Minuts |
15% | After 1:00 PM Before 2:00 PM | 45 Minuts | 15 Minuts |
15% | After 2:00 PM | Reminder of the day | Not applicable |
20% | Any time during Market hour | Reminder of the day | Not applicable |
ऊपर दिए गये टेबल से और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए उदाहरण से समझते है|
मान लीजिये कोई स्टॉक की पिछले बंद के अनुसार भारतीय स्टॉक मार्केट पर 1000 रुपये पर दर्ज हुआ था| अगले दिन वह स्टॉक ट्रेडिंग दिन अचानक से खरीदारी के चलते इसकी कीमत अचानक 1200 तक बढ़ जाती है|
यह 20% तक सर्किट तक पहुंच जाती है और स्टॉक में Upper सर्किट लग जाता है, और अगर 800 रुपये तक गिर जाती है तो 20% का Lower सर्किट लग जाता है|
स्टॉक ट्रेडिंग में Momentum इंडिकेटर्स क्या है?
Top 7 chart pattern जो हर स्टॉक मार्केट ट्रेडर को जानना चाहिए |
सर्किट लगने पर निवेशकों को क्या ध्यान रखना चाहिए?
Stock सर्किट एक महत्वपूर्ण तंत्र है जो स्टॉक एक्सचेंजो द्वारा अत्यधिक अस्थिरता को रोकने और निवेशकों को बड़े और अचानक से निर्माण हुआ Volatility से बचने के लिए लागु किये जाते है|
एक निवेशक के रूप में सर्किट प्रक्रिया को समझना और निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है|
निवेशकों को हमेशा मार्केट की सर्किट ट्रिगरिंग पर नज़र रखनी चाहिए और मार्केट पर बारीकी से निगरानी करनी चाहिए| अगर कोई स्टॉक सर्किट बिंदुओं तक पहुँचता है तो ऐसे स्टॉक में ट्रेड करने से बचना चाहिए|
अगर आप किसी स्टॉक में है और उसमे सर्किट लग रहा है, तब ऐसी स्थिति में स्टॉक में ट्रेडिंग एक विशिष्ट अवधि के लिए निलंबित कर दी जाती है|
एक ट्रेडर के तौर पर आपको धैर्य रखना चाहिए और जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए साथ हो ऐसी स्थिति का विश्लेषण करने और अपनी निवेश नीति का मूल्यांकन करें|
सर्किट से घबराए नहीं यह अत्यधिक मार्केट स्थितियों के दौरान घबराहट में स्टॉक खरीदी और बिक्री को रोकने के लिए बनाये गए हैं | सर्किट के दौरान निवेशकों को भावनात्मक फैसले लेने से बचना चाहिए|
अपनी निवेश रणनीति पर बने रहे और मार्केट की Volatility के दौरान शांत रहें|
निवेशकों को हमेशा अपने पोर्टफोलियो में विविधीकरण रखना चाहिए क्योंकि यह जोखिम को कम करके रिटर्न को अधिकतम करने में मदद करता है| यह हमेशा सुनिश्चित करें की आपके पास एक Diversify पोर्टफोलियो बने रहें|
FAQ.
Stock market में कितने तरह के सर्किट होते है?
Stock market दो तरह के सर्किट होते है मूल्य आधारित सर्किट और अस्थिरता आधारित सर्किट| मूल्य आधारित सर्किट तब ट्रिगर होते है जब मार्केट एक निश्चित अवधि में बहुत ज्यादा गिर जाता है, जब की अस्तिरता आधारित सर्किट तब ट्रिगर होता है जब मार्केट में बहुत ज्यादा Volatility होती है|
क्या दुनिया में सभी स्टॉक मार्केट सर्किट ब्रेकर प्रयोग करते है?
नहीं, सभी स्टॉक मार्केट में सर्किट नहीं होते| हालाँकि भारतीय स्टॉक मार्केट के साथ न्यूयोर्क स्टॉक एक्सचेंज सहित टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज सहित दुनिया के कई बड़े स्टॉक मार्केट में सर्किट ब्रेकर है|
Stock market में कितनी बार सर्किट ट्रिगर होते है?
इंडेक्स में सर्किट अपेक्षाकृत दुर्लभ घटना है, और आम तौर पर मार्केट में अस्थिरता के समय ही ट्रिगर होते है| हाँ स्टॉक में सर्किट लगते रहते है|