8 महत्वपूर्ण नियम जो Option seller को ध्यान रखना जरूरी है |

जब हम स्टॉक मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में सोचते है तब सबसे बड़ा सवाल यही आता है की क्या हमें Option खरीदना सही है या बेचना सही है, सच कहे तो इसके बारे में बहुत तरह के तर्क है|

जो निवेशक मार्केट में बुलिश है वह Call ऑप्शन खरीद सकते है या Put ऑप्शन बेच सकते है जबकि यदि वह मार्केट में बियरीश है, तो वह Put ऑप्शन  खरीद सकते है या Call ऑप्शन बेच सकते है| 

Option ट्रेडिंग मे बहुत तरह की रणनीतियाँ है और इन्हे चुनने के कई कारण है, परंतु Option ट्रेडिंग में यह कहावत है की “Option” बेचे जाने के लिए बनाए जाते है|

आज हम इस लेख में बात करेंगे ऐसे 8 महत्वपूर्ण नियम जो Option seller को ध्यान रखना जरूरी है| और समझेंगे की क्यों ऑप्शन ट्रेडिंग Seller के लिए फायदेमंद है, और क्यों  ऑप्शन बेचने पर सफलता की सम्भावना सबसे ज्यादा है और कुछ ऐसे जोखिम जो Option सेलिंग से जुड़ा हुआ है| 

Option seller के लिए कुछ 8 महत्वपूर्ण नियम

नियम 1 

Option seller की सोच Option खरीदार की सोच से अलग होती है, वह प्रत्यक्ष दृषिकोण से अलग विपरीत दृषिकोण अपनाता है|

उदाहरण के लिए अगर ऑप्शन बेचने वाले का यहाँ मानना है की स्टॉक एक निश्चित स्तर के निचे नहीं जायेगा तो Option seller Put ऑप्शन बेच देगा|

इसी तरह, अगर ऑप्शन सेलर को लगता है की स्टॉक एक निश्चित कीमत से ऊपर नहीं जायेगा तो वह Call option बेच सकता है| 

नियम 2

Call option विक्रेता और Put option विक्रेता के पास असीमित जोखिम होते है | तो चलिए उदाहरण के साथ समझते है|

यदि आपने Reliance की  2600 की Call option को 50 रुपये में बेचते है, तो आपका अधिकतम लाभ 50 रुपये है|

लेकिन अगर  कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति से पहले Reliance के स्टॉक की कीमत 2700 रुपये हो जाती है, तो आपका नुकसान 50 रुपये (2600-2700) – 50 रुपये प्रीमियम प्राप्त) होगा|

वैसे अगर Option seller ने पुट ऑप्शन बेचा है तो विपरीत स्थिति होगी | यहाँ सेलर को नुकसान असीमित है|  

नियम 3

एक Option seller ऑप्शन के जोखिमों को भी अच्छे से समझता है| ऊपर हमने जैसे देखा की Reliance की 2600 रुपये की Call ऑप्शन 50 रुपये प्रीमियम के साथ बढ़कर अगर 2700 रुपये होता है, तो यहाँ संभव है की Call ऑप्शन खरीदार स्टॉक को खरीदारी का भी विचार कर सकते है|

ऐसी स्थिति में Seller को या तो 50 रुपये नुकसान उठाना पड़ेगा या फिर मार्केट से वह स्टॉक 2700 रुपये भाव पर खरीदकर 2600 पर खरीदार को देने होंगे यहाँ दोनों तरीके से Seller को नुकसान उठाना होगा| 

नियम 4

Option seller जब भी ऑप्शन बेचते है, तो उसके लिए उन्हें कुछ मार्जिन अपने Broker के खाते में जमा करना होता है, यह बिलकुल Future में ट्रेड करने के लिए लग रहे मार्जिन की तरह होता है, इसकी गणना Future मार्जिन की तरह की जाती है|

यह मार्जिन आपको प्राप्त प्रीमियम के लिए समयोजित होती है| यहाँ Option seller को समय के साथ अगर मार्केट में या स्टॉक में हो रहे उतार-चढाव पर बढ़ रहे मार्जिन देने के लिए बाध्य होता है| 

नियम 5 

Option seller के लिए सबसे फायदेमंद “समय” होता है, क्यूंकि “समय मूल्य” उसके पक्ष में काम करता है| जैसे अगर आप एक ऑप्शन बेचते है, और अगर मार्केट या स्टॉक की कीमते स्थिर है तो उसका प्रीमियम जैसे जैसे समय बीतेगा घटता रहेगा, जिससे Seller को प्रीमियम का लाभ होता है|

उसके विपरीत ऑप्शन खरीदार को प्रीमियम का नुकसान होता है क्यूंकि समय उसके खिलाफ चलता है| 

नियम 6

अगर मार्केट या स्टॉक किसी एक दिशा में स्पष्ट प्रदर्शन कर रहा है तो ऑप्शन बेचना फायदे का सौदा होता है| उदाहरण के लिए Reliance लगातार तेजी दिखा रहा है और बढ़ता जा रहा है तो यहाँ ट्रेडर Put ऑप्शन को लगातार बेच कर मुनाफा कमा सकते है|

यहाँ वह यह स्टॉक की तेजी का फायदा लेकर ऑप्शन ट्रेडिंग द्वारा एक बड़ा मुनाफा कमा सकते है| 

नियम 7

ऑप्शन सेलर कितना मुनाफा करेगा यह उसके रिस्क की क्षमता पर आधारित होता है जैसे अगर वह ITM (In the money) ऑप्शन बेचता है तो यहाँ उसे प्रीमियम  ज्यादा मिलता है परंतु यह उच्च जोखिमों के साथ आता है|

वैसे ही अगर वह OTM (Out of money) ऑप्शन बेचता है तो यहाँ जोखिम तो कम होता है परंतु प्रीमियम भी कम मिलता है| तो यहाँ ऑप्शन सेलर को प्रीमियम पर निर्णय विवेकपूर्ण तरीके से लेने की आवश्यकता है|

नियम 8

अगर आप स्टॉक कवर Call option बेचते है तो यह रणनीति आपके लिए बहुत ही प्रभावी रूप से फायदेमंद रहेंगी | चलिए एक उदाहरण  समझते से है| यदि आपके पास Reliance के 2600 रुपये के कीमत के स्टॉक खरीद रखे है और अभी कीमत 2500 रुपये के निचे चल रही है|

आप क्या करेंगे? मान लीजिये की आप आश्वत है की कीमते आगे चल कर बढ़ेंगी और यह 2700 से ज्यादा हो जायेंगे तो आप एक उच्च कीमत की Reliance की Call option बेच देंगे यहाँ समाप्ति तारीख तक अगर कीमते नहीं बढ़ती है तो ऑप्शन वर्थलेस हो जायेंगे और प्रीमियम आपका मुनाफा होगा और साथं ही Reliance की आपकी खरीदी लागत कम हो जाएँगी| 

दूसरी और अगर Reliance के स्टॉक में काफी तेजी से बढ़त होती है तो ऐसी स्थिति में अगर आपके पास स्टॉक है तो आप अपनी पोजीशन को Hedge कर सकते है| या अपनी स्टॉक की डिलीवरी छोड़ कर मुनाफा कमा सकते है|

Option trading क्या है? | Beginner Guide for Options Trading.

Stock Market में 3 Candle rule क्या है? 

निष्कर्ष

आज हमने इस पोस्ट में Option ट्रेडिंग में अगर आप Seller (विक्रेता)के रूप में कार्य करते है तो फायदे और नुकसान है इसके बारे में चर्चा की है|

हमें यह याद रखना है की सेलर के रूप में यहाँ असीमित नुकसान की संभावना होता है लेकिन उसका मुनाफा ऑप्शन पर अर्जित प्रीमियम तक सिमित होता है|

अगर आप वैश्विक स्तर पर देखे तो 80-90% ऑप्शन वर्थलेस एक्सपायर होते है, इसका मतलब है की अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में Seller के रूप में कार्य करते है तो आपके लाभ कमाने की संभावना बढ़ जाती है|

इसलिए ज्यादातर बड़े निवेशक और संस्थाए Option seller होते है| छोटे निवेशकों हमेशा अपने जोखिम लेने की क्षमता को समझकर ही Option seller की तौर पर कार्य करना चाहिए| 

FAQ.

क्या Option seller कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति तारीख से पहले बाहर निकल सकता है?

जी हाँ, बिलकुल आप चाहे तो कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति से पहले ऑप्शन खरीदार और विक्रेता(Seller) आपने कॉन्ट्रैक्ट को किसी और बेच कर कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकल सकते है| 

क्या हम इंट्राडे में ऑप्शन खरीद या बेच सकते है?

स्टॉक और ETF ट्रेडिंग की तरह , उसी दिन अगर आप ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीद कर बेचते है, या बेच कर खरीदते है उसे इंट्राडे ट्रेड कहते है| समान स्ट्राइक मूल्य, समान समाप्ति तारीख और समान प्रकार (Call और Put) सभी समान होने पर यह एक ही कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है| 

क्या Option ट्रेडिंग High रिस्क  ट्रेडिंग में आता है?

जी हाँ, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अपनी जटिल प्रकृति के कारण जोखिम भरे होते है, परन्तु अगर आप यह समज जायेंगे की यह कैसे कार्य करते है आप अपना जोखिम को कम कर सकते है |

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