India में इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट काफी बड़ा मार्केट है| Derivatives में मुख्य रूप से दो प्रकार होते है जैसे Future और Option|
इन दोनों की अलग-अलग विशेषताएं हैं और इस लेख में हम फ्यूचर और ऑप्शन के बीच महत्वपूर्ण अंतरो को जानेंगे| इससे पहले की हम इनके मतभेदों को समझें, पोस्ट में चर्चा करे की Future और Option में क्या अंतर है? और उनका मूल सार क्या है?
Future और Option यह दो तरह के डिरेवेटिव्स है| इसका मतलब है की न तो Option और न ही Future का कोई अंतर्निर्हित कीमत है|
वह अपनी कीमत एक अंतर्निर्हित परिसंपत्ति से प्राप्त करते है, जैसे की कर्रेंसी या शेयर मार्केट सूचकांक| यह दोनों वित्तीय अनुबंध है जो भविष्य की तारीख में होने वाले लेनदेन की शर्तो को निर्धारित करते है|
Future और Option में क्या अंतर है?
Future ट्रेडिंग क्या है? What is the future Trading?
Future Contract ऐसी व्यवस्था है जिसमे एक खरीदार एक निश्चित भविष्य की तारीख पर एक निर्धारित मूल्य के लिए एक अन्तनिर्हित परिसंपत्ति को खरीदने के लिए सहमत होता है|
उदाहरण के लिए, एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदार भविष्य में एक निश्चित मूल्य के लिए परिसंपत्ति खरीदने के लिए सहमत हो सकता है, और अनुबंध विक्रेता उन शर्तो के साथ बेचने के लिए तैयार हो|
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की शुरुवात किसानो के लिए ख़राब मौसम, कीड़ों और उनकी फसलों को खतरे में डालने वाली किसी भी चीज को खुद को बचाने के लिए अपनी फसल की कीमतों को बचाने के स्वरुप में शुरू हुआ|
उन शुरुवाती दिनों से, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का विकास हुआ है, और अब यह अलग अलग तरह अन्तनिर्हित संपत्ति में उपयोग होते है जैसे Nifty 50 Index, Nifty बैंक इंडेक्स और अन्य तरह के इक्विटी सेगमेंट में और कमोडिटी और करेंसी सेगमेंट में|
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को मार्जिन पर ख़रीदा जा सकता है, इसका मतलब है की ट्रेडर अपने अकाउंट में जो ट्रेडिंग कर रहे है, उसके लिए कुछ ही अमाउंट की जरूरत होती है|
आम तौर पर यह 10% से 15% होती है, इसलिए एक ट्रेडर सिर्फ 50 हजार पर 5 लाख रुपये तक का ट्रेड कर सकता है, परंतु ध्यान देने वाली सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह है की इसमें लाभ के साथ-साथ नुकसान को भी बढ़ा देता है|
Future में निवेश उनकी कम मार्जिन मनी आवश्यकताओ और महीने के अंत तक समापन की गारंटी के कारण अत्यधिक जोखिम भरा माना जाता है, इसलिए इस तरह का व्यापर आमतौर पर पेशेवर निवेशकों द्वारा किया जाता है|
Option ट्रेडिंग क्या है? What is the option trading?
अगर आप भारत में देखे तो Option अनुबंध Buyer को एक निर्धारित मूल्य के लिए एक अन्तनिर्हित परिसंपत्ति को खरीदने (Call ऑप्शन के मामले में ) या बेचने (Put ऑप्शन के मामले में) अधिकार देते है, जिसे स्ट्राइक प्राइस के रूप में जाना जाता है|
ऑप्शन ट्रेडिंग में अंतर यह है की यहाँ अनुबंध के खरीदार के मामले में उसे खरीदने के लिए बाध्य नहीं है| यदि वह उसे ना खरीदने का विकल्प चुनते है तो वे अनुबंध खरीदने के लिए चुकाए गए प्रीमियम की राशि खो देते है|
Future की तरह, संस्थागत निवेशक अक्सर ऑप्शन में खरीदी और बिक्री करते रहते है, जो अपने पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए इस तरह के जटिल व्यापारिक रणनीति का उपयोग करते है|
हालांकि ऑप्शन ट्रेडिंग रिटेल निवेशकों के बीच भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है| Future के विपरीत ऑप्शन ट्रेडिंग में अन्तनिर्हित परिसंपत्ति से ऑप्शन अपने मूल्य प्राप्त करते है, आम तौर पर वह Stocks होते है|
Option या (Option Contract) कितने तरह के होते है?
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट मुख्यत्व दो तरह के होते है: (Call Option) और (Put Option)
अब आइये समजते है यह किस तरह से काम करते है|
1. Call Option
call option में कॉल खरीदार को एक निश्चित तारीख पर पूर्व-निर्धारित कीमत पर परिसंपत्ति को खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन वह इसके लिए पूर्ण रूप से बाध्य नहीं है यह उसके लिए विकल्प मात्र है|
अगर हम उदाहरण से समझे – अगर आप एक निश्चित तारीख पर किसी कंपनी के 500 शेयर 20 रु में खरीदने का Call option खरीदते है, लेकिन अगर Expiry पर शेयर की कीमत गिराकर 15 रु हो जाती है तो वह चाहे तो इस कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है क्युकी इसमें उसका नुकसान होगा|
खरीदार को 20 रु में शेयर नहीं खरीदने का अधिकार है और वह सौदे में होने वाले नुकसान (20×500 – 15×500 = 2500 रु ) से बचने का अधिकार है|
खरीदार का एकमात्र नुकसान कॉन्ट्रैक्ट के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम होगा जो की 2500 रु के नुकसान के तुलना में काफी कम राशि होगी आम तौर पर ट्रेडर Call Option तब खरीदते है जब उन्हें स्टॉक्स की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद हो|
2. Put Option
Put Option कॉन्ट्रैक्ट में आप चाहे तो पूर्व निर्धारित कीमत पर सम्पति बेच सकते है, लेकिन इसमें भी किसी तरह का बाध्य नहीं है|
उदाहरण के लिए अगर आप किसी कंपनी के शेयरों को 20 रु में भविष्य में बेचने का कॉन्ट्रैक्ट करते है और शेयर की कीमत एक्सपायरी तक 30 रु तक बढ़ तो आपके पास यह विकल्प है की आप कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर सकते है, इससे आप (20×500 – 30×500 = 5000) के नुकसान से बच सकते है|
Put option का प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब मार्केट के गिरने की संभावना ज्यादा होगी|
Option Trading की कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें –
- Spot price (स्पॉट प्राइस): यह वह कीमत है जो बाजार में मौजूद किसी परिसंपत्ति का बाजार मूल्य है|
- Strike price (स्ट्राइक प्राइस): यह वह कीमत है जिस पर खरीदार और विक्रेता एक निश्चित अवधि के लिए अन्तनिर्हित परिसंपत्ति को खरीदने और बेचने का निर्णय करते है|
- Option primium (ऑप्शन प्रीमियम): यह विक्रेता को खरीदार द्वारा दी गयी अग्रिम भुगतान कीमत है जो Non-refundable है|
- Option expiry (ऑप्शन समाप्ति): यह वह तारीख है जो हर महीने के अंतिम गुरुवार को समाप्त होती है|
- Settlement: यह परिसंपत्ति कॉन्ट्रैक्ट को हमारे स्टॉक एक्सचैंजेस द्वारा सेटल किये जाते है जो नगद में होते है|
Future और Option के बीच महत्वपूर्ण अंतर
Future | option |
यहाँ ट्रेडर को एक विशिष्ट तारीख पर एक निर्धारित मूल्य के लिए संपत्ति खरीदने या बेचने की आवश्यकता होती है | | यहाँ ट्रेडर को ऐसा करने की बाध्यता के बिना किसी विशिष्ट तारीख को या उससे पहले अन्तनिर्हित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का विकल्प प्रदान करते है | |
यहाँ आप कमोडिटी और इंडेक्स और स्टॉक्स के अन्तनिर्हित संपत्ति में ट्रेड के रूप में कर सकते है | | यहाँ अक्सर शेयरों को उनकी अन्तनिर्हित संपत्ति के रूप में उपयोग कर ट्रेड सकते है | |
यहाँ खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए उच्च स्तर का जोखिम शामिल होता है | यहाँ सबसे ज्यादा रिस्क फेक्टर होते है | | यहाँ खरीदार के लिए जोखिम कम हो सकता है, क्यूंकि खरीदार को विकल्प का प्रयोग करने का अधिकार है | |
Future और Option के जोखिम
अगर आप फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेड करना चाह रहे है, तो इसके लिए आपको स्टॉक मार्केट की और उससे जुडी जोखिम की अच्छे से समज होना जरूरी है|
अगर आपको मार्केट की अच्छी समज है, तो आप ट्रेडिंग कर सकते है| लेकिन ट्रेड करने से पहले आपको फ्यूचर और ऑप्शन से जुड़े कुछ जोखिमों समझ लें
Future और Option में सबसे बड़ा जोखिम यह है की कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने से पहले कीमत आपके खिलाफ चल सकती है, और आपकी पूंजी को समाप्त कर सकती है|
ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉन्ट्रैक्ट खरीदार के लिए यह कम जोखिम भरा हो सकता है, यदि स्थिति उसके पक्ष में नहीं रही तो उसके पास यह विकल्प है की वह कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दे| और अगर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदार के पक्ष में रहा तो विक्रेता पैसे खो देगा, और अगर बाजार खरीदार के खिलाफ जाता है तो वह अपना ऑप्शन ट्रेड के लिए दिया प्रीमियम खो देगा|
दूसरी और, अगर आप फ्यूचर ट्रेडिंग में देखे तो स्थिति हमेशा अलग रहेगी यहाँ अगर कॉन्ट्रैक्ट खरीदार के खिलाफ जाये तो उसे उतना ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा और फ्यूचर में ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स को हमेशा अपने खाते में मार्जिन मनी बनाये रखना आवश्यक होता है|
Future में प्रत्येक दिन “Mark to market” चलता है, जिसका अर्थ है की ट्रेडर्स को अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अधिक पैसा लगाना पड सकता है|
आप देख सकते है की Future और Option दोनो काफी जटिल और बहुत ज्यादा जोखिम भरे हो सकते है|
इसलिए शुरुवाती लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प नहीं है और फिर भी अगर आप यह करना चाहते है तो सावधानी और गहन शोध से ट्रेडिंग करना सुनिश्चित करे और अपने पैसे को जोखिम में डालने से पहले एक पेशेवर सलाहकार की सलाह अवश्य लेने पर विचार करे|
Future कॉन्ट्रैक्ट को मार्जिन पर ख़रीदा जा सकता है, परन्तु option कॉन्ट्रैक्ट को केवल मार्जिन पर ही बेचा जा सकता है, इसीलिए यह अत्यधिक जोखिम भरा माना जाता है क्यूंकि इसमें आपके शुरुवाती निवेश से ज्यादा नुकसान हो सकता है|
आज हमने इस लेख में आपको बताया की Future और Option में क्या अंतर है| और इसमें कितने तरह के जोखिम है और यह कैसे काम करता है, हमारी और से आपको यही सलाह है की अगर आप Stock market में नए है तो सबसे पहले इसे अच्छे से सीखे और गहन अध्ययन के साथ ही प्रवेश करे|
क्यूंकि maket में सबसे ज्यादा Risk डेरिवेटिव्स सेगमेंट है यहाँ आपकी पूरी पूंजी डूब सकती है|
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Frequently Asked Questions
1. Future और Option में Expiry (एक्सपायरी) का क्या अर्थ है?
कॉन्ट्रैक्ट का ख़त्म होने के दिन को एक्सपायरी दिन कहते है, फ्यूचर और ऑप्शन में यह हर महीने के अंतिम गुरुवार है| और अगर आप इंडेक्स ऑप्शन में ट्रेड करते है तो महीने के साथ हर सप्ताह के गुरुवार को भी एक्सपायरी होती है|
2. अगर Future कॉन्ट्रैक्ट का सेटलमेंट नहीं करते तो क्या होगा?
अगर आप एक्सपायरी से पहले अपने लिए हुए कॉन्ट्रैक्ट को सेटल नहीं करते है तो खरीदार को अन्तर्हित परिसंपत्ति की डिलीवरी लेनी होगी और विक्रेता को डिलीवरी देनी होगी| फ्यूचर अनिवार्य कॉन्ट्रैक्ट है, इसलिए आपको सावधानी पूर्वक एक्सपायरी से पहले इसे सेटल करना होगा अन्यथा इससे आपको भारी भरकम पेनल्टी लग सकती है और आपको नुकसान हो सकता है|
3. Margin Money किसे कहते है?
मार्जिन मनी वह राशि है जो फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट करते समय और ऑप्शन को बेचने (Sell) करते वक्त आपको आपके ब्रोकर अकाउंट में जमा करनी होती है, जिसके बगैर आप ट्रेड नहीं ले सकते है | ट्रेड सेटल होने के बाद शेष मार्जिन मनी ट्रेडर के खाते में वापिस किया जाता है |