Credit spread option trading strategy एक उन्नत ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें दो अलग-अलग स्ट्राइक कीमतों के साथ एक ही समाप्ति तारीख के साथ दो ऑप्शन को खरीदना और बेचना होता है|
इस रणनीति का उद्देश्य ज्यादा प्रीमियम वाले ऑप्शन को बेचना और कम प्रीमियम वाले ऑप्शन को खरीदकर शुद्ध क्रेडिट प्राप्त करना है|
यह रणनीति यह सुनिश्चित करती है की प्रीमियम का प्रभाव सकारात्मक बना रहे, इसलिए इसका नाम Credit spread है|
Credit spread option trading strategy को दो भागो Call credit spread और Put credit spread में विभाजित किया गया है|
यहाँ ट्रेडर ऑप्शन बेचता है, जो ज्यादा प्रीमियम प्रदान करता है और इसके बाद एक OTM (Out of money) ऑप्शन खरीदता है जिसका प्रीमियम कम होता है|
Call credit spread option strategy
Call credit spread में, ट्रेडर स्टॉक के मार्केट मूल्य की नजदीकी ज्यादा प्रीमियम वाली Call ऑप्शन बेचता है और साथ ही उसी स्टॉक पर एक दूर की कम प्रीमियम के साथ एक Call ऑप्शन खरीदता है| यहाँ ट्रेडर को प्रीमियम के रूप में क्रेडिट प्राप्त होता है|
Call credit spread में अधिकतम लाभ संभावित प्रीमियम द्वारा प्राप्त होता है, जबकि अधिकतम नुकसान स्ट्राइक मूल्य के बीच के अंतर से प्राप्त प्रीमियम का अंतर होता है|
इस रणनीति का प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब ट्रेडर्स को किसी स्टॉक स्थिर रहने की या कम होने की उम्मीद होती है|
Call credit spread को निम्नलिखित उदाहरण से समझते है:
मान ले की कोई XYZ कंपनी का स्टॉक जो वर्तमान में 100 रुपये प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है| ट्रेडर यहाँ 4 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम के लिए 105 रुपये के स्ट्राइक मूल्य का Call ऑप्शन बेचता (short) है| और साथ ही 2 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम के लिए 110 रुपये स्ट्राइक मूल्य के साथ एक Call ऑप्शन खरीदता है| यहाँ प्राप्त शुद्ध प्रीमियम 2 रुपये है|
यहाँ अगर स्टॉक XYZ की कीमत समाप्ति पर 105 रुपये से नीचे रहती है, तो दोनों ऑप्शन बेकार हो जाते है, और ट्रेडर्स 2 रुपये का अधिकतम प्रीमियम प्राप्त करता है|
अगर XYZ स्टॉक की कीमत समाप्ति पर 110 रुपये से ऊपर हो जाती है तो दोनों ऑप्शन का प्रयोग किया जाता है, अब यहाँ 110 रुपये पर स्टॉक खरीदना होगा और 105 रुपये पर बेचना होगा जिसके परिणाम स्वरूप 5 रुपये प्रति शेयर का नुकसान होगा ( Rs 5 – Rs 2 = 3 रुपये ) यहाँ 3 रुपये नुकसान होगा|
इस सम्पूर्ण स्ट्रेटेजी में ट्रेडर्स का ज्यादा से ज्यादा नुकसान 3 रुपये प्रति शेयर होगा|
Put credit spread option trading strategy
Put credit spread रणनीति में एक नजदीकी स्ट्राइक कीमत का ज्यादा प्रीमियम के साथ स्टॉक की नजदीकी Put ऑप्शन बेचना होता है और साथ ही एक दूर के स्ट्राइक कीमत का कम प्रीमियम की Put ऑप्शन खरीदना होता है|
इसका लक्ष भी ज्यादा प्रीमियम वाले Put ऑप्शन को बेचकर क्रेडिट प्राप्त करने का है, जो कम स्ट्राइक Put ऑप्शन के लिए भुगतान किये गए प्रीमियम से अधिक है|
Put credit spread को निम्नलिखित उदाहरण से समझते है:
मान लीजिए की आप ABC कंपनी के स्टॉक पर ऑप्शन ट्रेड करना चाहते है, जो वतर्मान में 50 रुपये प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है|
आपको लगता है की स्टॉक अपेक्षाकृत स्थिर रहेगा या अगले महीने थोड़ा बढ़ जायेगा, इसलिए आप Put credit spread रणनीति का प्रयोग कर सकते है|
आप यहाँ 2 रुपये के प्रीमियम के लिए 45 रुपये के स्ट्राइक कीमत के साथ एक Put ऑप्शन बेचते है, और साथ ही 0.50 पैसे प्रीमियम के लिए 40 रुपये के स्ट्राइक कीमत के साथ एक Put ऑप्शन खरीदते है|
यहाँ 1.50 रुपये का शुद्ध क्रेडिट बनता है, (बेचे गए Put के लिए प्राप्त 2 रुपये प्रीमियम माइनस 0.50 पैसे ख़रीदे गए Put ऑप्शन के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम)
इस रणनीति में आपका अधिकतम लाभ 1.50 रुपये का शुद्ध क्रेडिट है, जो आप अधिकतम कमा सकते है अगर स्टॉक की कीमत तारीख समाप्ति पर 45 रुपये के स्ट्राइक कीमत से ऊपर रहती है|
आपका अधिकतम नुकसान स्ट्राइक कीमतों (45 – 40 = 5) के बिच का अंतर है, 1.50 रुपये का शुद्ध क्रेडिट घटा, जो 3.50 के बराबर है|
Credit spread option strategy के फायदे और नुकसान
Credit spread रणनीति से आपको दो अलग ऑप्शन में खरीदी और बिक्री कर शुद्ध क्रेडिट प्राप्त होता है, परंतु इस रणनीति के कुछ संभावित फायदे और नुकसान भी है जो यहाँ दिए गए है:
फायदे
- सीमित जोखिम: क्रेडिट स्प्रेड के प्रमुख लाभों में से एक यह है की वह ट्रेडर को संभावित नुकसान को सिमित करते है साथ ही यहाँ वह अग्रिम नुकसान को समझ सकता है| इससे ट्रेडर्स के लिए ट्रेड की योजना बनाना आसान हो जाता है|
- लाभ की सम्भावना: ऑप्शन को बेचने से प्राप्त शुद्ध क्रेडिट को लाभ के रूप प्राप्त होता है अगर ऑप्शन बेकार हो जाते है| इसका मतलब यह है की ट्रेडर Time Decay और Volatility में कमी से लाभ कमा सकते है, बिना किसी विशिष्ट दिशा में चलने वाले स्टॉक पर भरोसा किये बिना|
- बहुमुखी रणनीति: क्रेडिट स्प्रेड का उपयोग मार्केट की विभिन्न स्थितियों में किया जा सकता है और वभिन्न ट्रेडिंग उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समायोजित किया जा सकता है|
नुकसान
- सीमित लाभ क्षमता: इस रणनीति में लाभ की क्षमता सिर्फ प्राप्त शुद्ध क्रेडिट तक सिमित है, स्टॉक में महत्वपूर्ण मूल्य में चाल से लाभ की ट्रेडर की क्षमता को भी सीमित कर सकता है|
- Margin requirement: Broker और ट्रेडर की बारीकियों के आधार पर, क्रेडिट स्प्रेड रणनीति का प्रयोग करने के लिए महत्वपूर्ण Margin की आवश्यकता हो सकती है| यह ट्रेडर के कैपिटल को बाँध सकता है और दूसरी पोजीशन लेने की क्षमता को सिमित कर सकता है|
- समय: क्रेडिट स्प्रेड के लिए सावधानीपूर्वक समय का चुनाव करना आवश्यक होता है| अगर ऑप्शन को सही समय पर ख़रीदा और बेचा नहीं जाता है, तो ट्रेडर अपने लाभ से चूक सकता है या अप्रत्याशित नुकसान उठा सकता है|
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FAQ.
Credit spread ऑप्शन के कितने प्रकार है?
अभी दो प्रकार के Credit spread ऑप्शन है: Bull call spread और Bull put spread इसमें से Bull call spread में ज्यादा प्रीमियम पर Call ऑप्शन बेचना और कम प्रीमियम Call ऑप्शन खरीदना होता है| जबकि Bull put spread में ज्यादा प्रीमियम पर Put ऑप्शन बेचना और कम स्ट्राइक मूल्य पर Put ऑप्शन खरीदना होता है|
Credit spread ऑप्शन स्ट्रेटेजी में अदिक्तम नुकसान कितना है?
Credit spread ऑप्शन स्ट्रेटेजी के लिए अधिकतम नुकसान औप्शन के स्ट्राइक कीमत के बीच का अंतर है| यह ट्रेड मे प्रवेश करते समय प्राप्त शुद्ध क्रेडिट को घटाकर निकाला जाता है|
आप Credit spread ऑप्शन स्ट्रेटेजी का प्रबंधन कैसे करते है?
स्टॉक की कीमतों में उतार-चढाव की निगरानी करके और उसके अनुसार अपनी स्थिति को समायोजित करके ट्रेडर्स अपनी Credit spread ऑप्शन रणनीति का प्रबंधन कर सकते है| या ट्रेडर अपने मुनाफे को बुक करने के लिए या नुकसान को सिमित करने के लिए Expiry तारीख से पहले अपने पोजीशन से बाहर भी निकल सकते है|
2 thoughts on “Credit spread option trading strategy क्या है? और यह कैसे काम करती है?”